जाने तकदीर कैसी पाई है
हमने हर बार मात खाई है
उसने देखा न एक बार हमें
हम समझते थे शनासाई है
ज़िक्र दैरो हरम बहाना है
ज़िंदगी किसको रास आई है
सिर्फ़ अहले नज़र का धोका है
क्या अच्छाई है क्या बुराई है
हमने हर बार मात खाई है
उसने देखा न एक बार हमें
हम समझते थे शनासाई है
ज़िक्र दैरो हरम बहाना है
ज़िंदगी किसको रास आई है
सिर्फ़ अहले नज़र का धोका है
क्या अच्छाई है क्या बुराई है