बुधवार, 31 दिसंबर 2008

ऐसा नया साल हो!







समय खुशियों का नहीं , सो इक निवेदन अवश्य है, बक़ौल शकील शम्सी :

गुल कर गए कितने ही चरागों को धमाके
मुमकिन हो तो इस साल चरागाँ नहीं करना
हैं खून से रंगीन हर इक शहर की गलियाँ
इस दौर में तुम जश्न का सामां नहीं करना


लेकिन हम भारतीय जन्मजात उत्सव-धर्मी हैं। सो नेक तमन्नाओं के साथ नए साल के लिए कुछ दुआएं ,कुछ विशवास, कुछ संकल्प:


सब की फरयाद हो
गाँव शाद-बाद हो
इरादा चट्टान हो
खुला आसमान हो

ज़िन्दगी खुशहाल हो
ऐसा नया साल हो

हर होंट प गुलाब हो
पके आम-सा शबाब हो
खूबसूरत मकान हो
मुट्ठी में जहान हो

ज़िन्दगी खुशहाल हो
ऐसा नया साल हो

हर गाल प गुलाल हो
रिश्ता न मुहाल हो
माँ का ख्वाब हो
आँगन शादाब हो

ज़िन्दगी खुशहाल हो
ऐसा नया साल हो

कोयल ka साज़ हो
सबकी आवाज़ हो
मसला न सवाल हो
हर हाथ में कुदाल हों


ज़िन्दगी खुशहाल हो
ऐसा नया साल हो

नदी की रवानी हो
न कभी बदगुमानी हो
हर सोच ताबांक हो
वक्त न हौलनाक हो

ज़िन्दगी खुशहाल हो
ऐसा नया साल हो




















गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

आतंक के विरुद्ध जिहाद!


देश के लिए कुर्बान मुजाहिदीनों को सलाम!


पाठक चौंक रहे होंगे । मैं क्या बेवकूफाना हरकत कर रहा हूँ.सच मानिए उन आतंकवादियों से लड़ते हुए जामे-शहादत पी जानेवाले वो तमाम जांबाज़ मुल्क के सिपाही, अफसर और आम नागरिक ही मेरी नज़र में सबसे बड़े मुजाहिदीन हैं।


मुजाहिदीन अर्थात जिहद, प्रतिकार, संघर्ष करनेवाला
, ऐसा संघर्ष जो आंतंक,अन्याय,असत्य,ज़ुल्म और अत्यचार के विरुद्ध हो। ऐसे मकसद के लिए जद्दोजिहद जिसका ईमान इंसान की जान बचाना और ज़मीन पर अमनो-अमन कायम करना हो।


अबुलकलाम आजाद, भगत सिंह, अशफाक, रामप्रसाद, विद्यार्थी,नेहरू, सुभाष जैसे अनगिनत लोग हुए जिन्होंने अंग्रेजों से मुल्क को आज़ादी दिलाने के लिए जिहाद किया.और आज इतिहास उन्हें मुजाहिदे-आज़ादी कहता है।
और मुंबई में शहीद हमारे देशवासियों ने हमें विदेशियों की नापाक साजिश से मुक्त कराने के लिए जिहद किया और शहीद तो हुए लेकिन उन्हों ने ये विश्व को दिखा दिया की तिरंगा झुकनेवाला नहीं है।
समूची इंसानियत को बंदूक की नोक पर नचाने का सपना देखने वाले इस्लाम समेत किसी भी धर्म-सभ्यता में मुजाहिदीन नहीं कहे जा सकते।
वे आतंकवादी हैं, उग्रवादी हैं, दहशतगर्द हैं।
उन्होंने कठोर से कठोर सज़ा मिलनी चाहिए।
उन्हें मज़हब और धर्म का इस्तेमाल करने की इजाज़त किसी भी कीमत पर नहीं मिलनी चाहिए.इस्लाम ऐसे दहशतगर्दों के लिए कठोरतम सज़ा की हिमायत करता है.मुस्लिम परिवार मेंजन्म लेने के कारण इस्लाम की थोड़ी-बहुत जो समझ , और संस्कार ने जो तमीज दी है , उसके आधार पर मैं सबसे पहले मुसलामानों से अपील करता हूँ की आप आगे आयें और इस्लाम को बदनाम करनेवाले इन दहशतगर्दों के विरुद्ध जिहाद करें.अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए, पूरी शक्ती के साथ आतंकवादियों का मुकाबला कीजिये,आतंकवाद की कमर तोड़ दीजिये.आपके प्यारे नबी की हदीस है ; वतनपरस्ती ॥ अपने वतन की तरफ़ बुरी नज़र से देखने की कोई हिमाक़त करे तो उसकी आँख फोड़ दीजिये।

जिहाद वो नहीं जैसा नाम-निहादी कर रहे हैं बल्कि उनके ख़िलाफ़ खड़े होना जिहाद है।
इस्लाम में जिहाद

बे-ईमानी के विरुद्ध ईमानदारी के लिए संघर्ष।
असत्य के विरुद्ध सत्य के लिए संघर्ष।
अत्याचार, ज़ुल्म, खून-खराबा और अन्याय के विरुद्ध सद्भाव, प्रेम, अमन और न्याय के लिए संघर्ष।


अब कुरान क्या कहती है:
...जो तुम पर हाथ उठाए , तुम भी उसी तरह उस पर हाथ उठा सकते हो,अलबत्ता ईश्वर से डरते रहो और यह जान रखो कि ईश्वर उन्हीं लोगों के साथ ही जो उसकी सीमाओं के उलंघन से बचते हैं।
२:१९४
....उन लोगों से लड़ो,जो तुमसे ladte हैं,परन्तु ज्यादती न करो।अल्लाह ज्यादती करने वालों को पसंद नहीं करता.
२:१९०
....और यदि तुम बदला लो तो बस उतना ही ले लो जितनी तुम पर ज्यादती की गयी हो. किन्तु यदि तुम सबर से काम लो तो निश्चय ही धैर्य वालों के लिए यह अधीक अच्छा है।
१६:२६


शान्ति, सलामती इस्लाम की पहचान रही है.जभी आप एक-दूसरे से मिलने पर अस्सलाम अल्लैकुम यानी इश्वर की आप पर सलामती हो , कहते हैं.आप कुरान की ये आयत जानते ही हैं:
जिसने किसी की जान बचाई उसने मानो सभी इंसानों को जीवनदान दिया।
५:३२


मुंबई के हादसे पर इंसानियत आपसे सवाल करती है.यूँ देश के तमाम मुस्लिम sansthaaon, इमामों और उल्माओं ने घटना की कठोर निंदा के साथ दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा की मांग की है.समय-समय पर एक मुस्लिम संघठन आतंकवाद-विरोधी जलसा वर्ष-भर से जगह-जगह आयोजित करता रहा है.दूसरे प्रमुख संगठन ने अभी अपना अमन-मार्च ख़त्म किया है.लेकिन महज़ निंदा और जलसे जुलुस से अब कुछ नहीं होने वाला अब ज़रूरत खुलकर आतंकवादियों का मुकाबला करने की है.पास-पड़ोस में पनप रही ऐसी किसी भी तरह की मानसिकता को ख़त्म करने की.सरकार और पुलिस को सहयोग करने की.संसार के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक है आतंकवाद!जिसका समूल नाश बेहद ज़रूरी है॥ वसुधैव कुटुंब बकम .ये हमारी विरासत है।
और पगैम्बर मुहम्मद की ये हदीस हमारा ईमान :
सम्पूर्ण स्रष्टि इश्वर का परिवार है.अतःइश्वर को सबसे प्रिय वो है जो उसके परिवार के साथ अच्छा व्यव्हार करे।


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