गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

अफ़ज़ल से हम हिसाब करें

, यह मीनारों मेहनत से उठती अज़ानें
मशीनों में ढलते यह ग़म के तराने

नए साल की खै़रियत चाहते हैं
इबादत में डूबे यह कल कारख़ाने

यह माटी की महिमा है, माथे से लगा लो
यह पत्थर की मूरत है, सर को झुका लो

यह लाशें तरसती रही hain कफ़न को
नए साल में पहले इसको संभालो

बहुत पहले नर्मेश्वर उपाध्याय की यह कविता पढ़ी थी। कुछ पंक्तियां एक पुरानी डायरी में मिल गईं। लगा आप से साझा कर लें। नए वर्ष की आप सभी को नेक मुबारकबाद!
नए सवेरे में कोई दहशत में न जीये। राहत इंदौरी के इस शे’र को हम साकार करें, यही तमन्ना हैः

दहशत पसार पाए न पैर अपने मुल्क  में
अफ़ज़ल से हम हिसाब करें,साध्वी से तुम



Terrorism in India: A Strategy of Deterrence for India's National SecurityTerrorism: History and Facets in the World and in India 

14 comments:

उम्दा सोच ने कहा…

आओ साथ मिल कर अफज़ल के अब्बा से हिसाब कर ले, वरना ऐसे अफज़ल पैदा होते रहेंगे !

अवधिया चाचा ने कहा…

आओ अकेले ही साध्‍वी से हिसाब करलें, वर्ना उनके आशिर्वाद से ऐसे नालायक पैदा होते रहेंगे, जो हमेशा दूसरों को पुकारते रहते हैं, नहीं जानते दूसरों ने पुकारा तो क्‍या हो सकता है,

बहुत बढिया शेर दियाः
दहशत पसार पाए न पैर अपने मुल्‍क में
अफज़ल से हम हिसाब करें, साध्‍वी से तुम

बेटा हमने इस कविता को अपनी डायरी में नोट कर लिया अवध जाऐंगे तो साथ लेते जाऐंगे,

अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया

उम्दा सोच ने कहा…

@ अवधिया चाचा
आप एक बार पुकार के तो देखो हम अवध से सारी तहजीब समेट ले आयेंगे फिर अपने साथ आप को अवध ले जा कर जी भर कर खूब सैर करवाएंगे !

साध्वी को तो हमने पहले ही देख लिया है,साथी ने अफ़सोस देर से पुकारा!

अफज़ल और कसाब की खूब खातिरदारी चल रही है हमारे पैसो पर खूब कबाब तोड़ रहे है !!!

अब बताओ अफज़ल के अब्बा का कुछ करे ??? क्युकी हम अकेले सबकुछ करेंगे तो आप को मिर्ची लग जायेगी और फिर आप कभी अवध नहीं आओगे !

अवधिया चाचा ने कहा…

@ उमदा सोच - अवध तो हम जरूर आएंगे, अभी भी अपनी दो ही इच्‍छा हैं, एक सलीम खान का ब्‍यान पढना, दूसरा अवध देखना, देखते हैं कौनसी इच्‍छा कब पूरी होती है,

शहरोज जी ने मेल से कहा कि यह मैंने प्‍यार बढाने के लिए पोस्‍ट डाली है तुम लोगों ने इसमें भी झगडा निकाल लिया, इस लिए आओ इस शेर पर नए साल में वाह-वाह करें
दहशत पसार पाए न पैर अपने मुल्‍क में
अफज़ल से हम हिसाब करें, साध्‍वी से तुम

अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया

उम्दा सोच ने कहा…

@ अवधिया चाचा
हम तो सौदाई है दुगना लौटाना हमारा वादा है नफरत पे नफरत तो प्यार पे प्यार और सौहार्द और भाईचारा x 2 जो दो तो रसीद के साथ पाओ भी !!!!

सलीम भाई आज कल बहुत खुश है वे खूब बरकत पर है काम धंधे में ज़ोर का मन जो लगा रक्खा है वे हमारे अज़ीज़ भाई है इश्वर उन्हें तरक्खी पे तरक्की दे ,अब वो बयान तो तब दे जब ज़ाया करने को उनके पास मोहलत हो !!!

शहरोज़ भाई की भावना का कद्र है हमें , "देख लेना" सरकार का काम है उन्हें ही करने दे हम तो वाह वाह करते है शहरोज़ भाईजान के इस नए साल के शेर पर !!!

नया साल शुभकारी हो !

Spiritual World Live ने कहा…

@umda soch
साध्वी को तो हमने पहले ही देख लिया है,साथी ने अफ़सोस देर से पुकारा!

bhai sahab aapko shahroz sahab ki post gaur se padhni chahiye.aur request karunga k inki pichlee saari post padhen aur uske baad hi ye ilzaam lagaayen.
unki soch to umda lagti hai lekin aap.......

Spiritual World Live ने कहा…

aur haan ye waqt milne milane achchi baaten karne ka hai ek doosre ko mubaarak baad dene ka hai, na ki bahas-mubaahise ka.
aap sabhi ko naya saal bahut bahut mubarak!

शेरघाटी ने कहा…

नया साल अपेक्षित हर्ष और सफलता लाये , यही दुआ है.आमीन!

राज भाटिय़ा ने कहा…

अरे यह देश यह घर मेरा भी उतना ही है जितना तुम्हारा, तुम लगे रहो अपने अपने हिसाब किताब मै देश जाये भाड मै.
शहरोज जी यह बाते मेने आप को या आप की गजल पर नही लिखी, क्योकि आप की गजल वोही कहती है जो मेरे विचार है, यह बाते तो लडने बालो को कही है. बहुत सुंदर गजल कही आप ने.
आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!मुबारक!

शबनम खान ने कहा…

दहशत पसार पाए न पैर अपने मुल्‍क में
अफज़ल से हम हिसाब करें, साध्‍वी से तुम
Har ek aman chahne wale bhartiya ki yahi soch....par kya kare... rajniti...nhi nhi bhrasht rajnetao k hote ye puri nhi ho paa rahi..uspar hum me se bhi kafi log ha jo dharm mazhab se upar uthke kuch dekhna hi nhi chahte...
sher bohot khoob ha...
naye sal ki mubarakbaad...

सहसपुरिया ने कहा…

SHAHROZ BHAI,HAPPY NEW YEAR 2010 TO YOU AND ALL

girish pankaj ने कहा…

yahaan bhi andhe, vahaan bhi hai andhe.
hulya hai ujala, magar dil se gande.
bachhana hai inase mere desh ko ab,
varana amn chhen lenge ye bande..

vaah, vsharoj, pratikriya dete-dete do sher ban gaye..? yah tumhare likhane kee taakat hai jo preranaa mil gayee. sarthak lekhan k liye badhai...

EP Admin ने कहा…

shahroz bhai
kyo aakhir afzal se ham kyon aur sadhvi se wo kyon, chaliye bant liiye zara rahat sahab se kahiye mumbai dange wale bala saheb ke badle kaun hamari taraf se......hamne puri duniya ke musalmano ka theka liya hua hai kya? afzal se ham kyo nipte....aur sadhvi se wo kyo......choro ki jaat wale baith kar saza denge choro ko...bekar hai aisi sadbhavna....qanun apna kaam imandari se kar ke dikhaye...insaf chand sikko aur dharamchare par becha na jaye....aisa kuchh likhiye to mai apni diary me tepun bina aap ka naam liye.....

Satish Saxena ने कहा…

आखिर अरसे बाद आपने दुबारा लिखना शुरू किया है शहरोज भाई ! उम्मीद है अब जारी रखोगे !

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