मंगलवार, 17 जून 2008

शेष .....


खिड़की से झांकता हुआ पार्क या बस स्टाप पर गुटुरगूं करते युगल को
देख कबाब बन धुंआ उगलता जाएगा
उसका विश्वास लबरेज़ होगा की सारी स्त्रियों को
सिर्फ़ वही तृप्त कर सकता है ।


शेष रविवार में ...

1 comments:

pallavi trivedi ने कहा…

main nishabd hoon...itni gahri kavita aap kaise likh lete hain..hats off to u.

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