न शओकत, न शोहरत , न ज़र चाहिए
फ़क़त इक तेरी नज़र चाहिए
वफाएं, जफाएं हैं अपनी जगह
दुआओं में कुछ असर चाहिए
समझकर बताओ ,ज़रा शेख जी
ख़ुदा चाहिए उसका घर चाहिए
तगाफुल बहुत हो लिया ऐ क़मर
कहो जिसको घर ,वैसा घर चाहिए
शर से महफूज़ हो ले हर इक पर
यूं मज़बूत दीवारों-दर चाहिए
फ़क़त इक तेरी नज़र चाहिए
वफाएं, जफाएं हैं अपनी जगह
दुआओं में कुछ असर चाहिए
समझकर बताओ ,ज़रा शेख जी
ख़ुदा चाहिए उसका घर चाहिए
तगाफुल बहुत हो लिया ऐ क़मर
कहो जिसको घर ,वैसा घर चाहिए
शर से महफूज़ हो ले हर इक पर
यूं मज़बूत दीवारों-दर चाहिए
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