रविवार, 1 जून 2008

ग़ज़ल

न शओकत, न शोहरत , न ज़र चाहिए
फ़क़त इक तेरी नज़र चाहिए

वफाएं, जफाएं हैं अपनी जगह
दुआओं में कुछ असर चाहिए

समझकर बताओ ,ज़रा शेख जी
ख़ुदा चाहिए उसका घर चाहिए

तगाफुल बहुत हो लिया ऐ क़मर
कहो जिसको घर ,वैसा घर चाहिए

शर से महफूज़ हो ले हर इक पर
यूं मज़बूत दीवारों-दर चाहिए
Related Posts with Thumbnails

हमारे और ठिकाने

 English-Urdu Dictionary

Powered by UrduWord.com 
 English Word:
अंग्रेज़ी-हिन्दी

सहयोग-सूत्र

लोक का स्वर

यानी ऐसा मंच जहाँ हर उसकी आवाज़ शामिल होगी जिन्हें हम अक्सर हाशिया कहते हैं ..इस नए अग्रिग्रेटर से आज ही अपने ब्लॉग को जोड़ें.