सोमवार, 9 जून 2008

बाबा की पाती



(आयेश और आमश के लिए )

हमारे पास कुछ भी नहीं है
चंद औराक गर्दिशे -दोराँ के
चंद नसीहतें जो नस्ल दर नस्ल हम तक पहुंचीं
ऐसा विश्वास जहाँ श्रद्धा के अतिरिक्त
सारे सवाल अनुत्तरित और प्रतिबंधित
हैं

मैं कांपता था , लड़खडाने लगते थे क़दम
पसीने लगते थे छूटने
तुम मत डरना
कभी कुत्ते के भोंकने और बिल्ली के म्याओं म्याओं से

शिनाख्त रखना नहीं
न वजूद के पीछे
भागना
रैपर बन जाना
किसी भी साबुन की टिकया
का चमकदार और भड़क दार ,
टिकया के बारे में न सवाल करना न करने देना ;
वे एक सी होती हैं
सभी
हाँ !रैपर का नाम ही तुम्हारा होगा
यह मान बढायेगा तुम्हारा

अनुभव की पोटली से निकले ये चंद
सिक्के बेईमानी ,झूठ और मक्कारी
कल तुम्हारे मुद्रा -अस्त्र होंगे

सहेजकर रखना इस वसीयत
को

मुझे याद मत
करना

किरदार और गुफ्तार रफ़्तार की
रखना रेत के टीले मत बनाना ।

5 comments:

pallavi trivedi ने कहा…

bahut achche..badhiya likha hai.

Unknown ने कहा…

You are never too old for any feelings you have, just becarefull how you act on them.

Adil Azad ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…

gud keep it up

हकीम जी ने कहा…

kya shabd hai ...u r really great....

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